जालंधर/सोमनाथ कैंथ
तेज धूप, लू और गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी होना स्वाभाविक है बदलाव प्रकृति का नियम है, साल भर में जहां हाड कंपाने वाली सर्दी होती है तो वहीं चिलचिलाती धूप से भी लोगों सामने करने पड़ता है। कुदरत बड़ी बेअंत है तेज धूप, गर्मी में शरीर में पानी की कमी न हो प्रकृति ने अमृत समान फल दिए हैं। इन फलों को खाकर व्यक्ति डीहाईड्रेशन से बच सकता है। अमृत समान फलों में एक फल है खरबूजा, जिसका 90 प्रतिशत हिस्सा पानी से भरा होता है। इस कारण चिलचिलाती गर्मी और लू से बचने के लिए रोजाना खरबूजे का सेवन करना चाहिए।
खरबूजे की तासीर की बात की जाए तो ठंडी होती है जो शरीर को ठंडा रखती है। खरबूजे में मौजूद पोषक तत्वों की बात करें तो यह विटामिन सी, विटामिन ए, पोटाशियम और फाइबर से भरपूर होता है। यह शरीर को तरोताजा रखने के साथ-साथ शरीर की इम्युनिटी को भी मजबूत करता है।
कुछ जगहों पर केंटालूप या हनीड्यू के नाम से प्रसिद्ध खरबूजा न केवल शरीर को ताजगी देता है, बल्कि अपने यह फल स्वास्थ्य की दृष्टि से खनिजों से भरपूर है।
गर्मी में खूब पसीना आने से शरीर में जहां पानी की कमी होती है, वहीं तरल पदार्थों की कमी भी हो जाती है। खरबूजा खाने से डीहाईड्रेशन दूर होती है, वहीं शरीर को ऊर्जा भी मिलती है।
खरबूजा विटामिन सी से भरपूर होने के कारण इसे इम्युनिटी बूस्टर भी कहा जाता है। शरीर में पानी की कमी तो दूर होती ही है, शरीर संक्रमण से भी बचता है।
गर्मी में लू चलने के कारण तेज धूप त्वचा से पानी को सोख लेती है। क्योंकि खरबूजा विटामिन ए से भरपूर होता है तो इसके सेवन से त्वचा में पानी की कमी दूर होती है।
फाईबर से लवरेज होने के कारण खरबूजा पाचन शक्ति को भी मजबूत करता है। कब्ज दूर होती है और मल त्याग ठीक होता है। वहीं यह आदर्श फल वेट मैनेजमैंट में मदद करता है।
खरबूजे की किस्में
वैसे तो खरबूजे की दर्जनों किस्में हैं लेकिन ज्यादा प्रचलित किस्में अर्का सिरी,पूसा रसराज, एमएच 10, हिसार मधुर, पूसा शरबती, अर्का राजहंस और दुर्गापुर मदुराई अधिक उगाई जाती है। बॉबी किस्म के खरबूजा तो मिठास से भरपूर होता है।
कब उगाया जाता है खरबूजा
खरबूजे की अगेती खेती जनवरी और फरवरी में की जाती है, जिससे किसान इसकी लागत से तीन-चार गुणा मुनाफा कमा लेते हैं। किसान पूसा शरबती और बॉबी खरबूजा की खेती को ज्यादा अहमियत देते हैं। पूसा शरबती खरबूजा हल्का नारंगी और जालीदार स्किन वाला होता है। अमूमन इसका भार एक किलो से कम होता है और इसके पौधे तीन चार फल देते हैं।
बॉबी खरबूजे का नाम लेते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है
मिठास से भरपूर बॉबी खरबूजे का नाम आते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। आए भी क्यों ने क्योंकि इसकी मिठास ही हनीड्यू जैसी है। इसका कोई भी फल स्वाद में फीका नहीं होता। खरबूजा की बॉबी किस्म एक ऐसी किस्म हो जो करीब 2 महीने में ही फल दे देती है। इसकी खते मल्चिंग विधि और ड्रिप सिंचाई से की जा सकती है और यह कम पानी में भी बेहतर उपज देती है। इसकी खेती से हजारों किसानों को लाभ हुआ है और उनकी जीविका में भी इजाफा हुआ है।
खरबूजे का साथ यह न खाएं
अनेक गुणों से भरपूर खरबूजे के खानो लेकर कई सावधानियां भी बताई गई हैं। जैसे खरबूजा गर्मी में डीहाईड्रेशन से बचाता है तो इसके अत्याधिक सेवन या कुछ अन्य फलों के साथ खाने से इसके नुकसान भी होते है। अत्याधिक सेवन से पाचन क्रिया खराब हो जाती है और डायरिया का खतरा बन जाता है। आई हम जानते हैं खरबूजे के साथ कौन से फल और अन्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
कुछ पदार्थों के साथ इसका सेवन जहर समान हो जाता है। फूड प्वाइजनिंग, एलर्जी, मोशन और पाचन से जुड़ी परेशानिया बढ़ जाती है।
खरबूजे के साथ कभी भी दही नहीं खाना चाहिए। खरबूजा और दही इकट्ठे खाने से पाचन क्रिया बिगड़ जाती है।
इसके अलावा खरबूजा खाने के बाद दूध से परहेज करें। आयुर्वेद के अनुसार दोनों का पचने का समय अलग-अलग है। पेट में गैस, एसिडिटी की शिकायत हो सकती है।
वहीं खरबूजे के साथ खीरे का सेवन भूलकर भी नहीं करें। यह दोनों फल एक ही पौधे के परिवार से हैं लेकिन दोनों में कुछ तत्व ऐसे होते हैं जो मिलकर पेट में ब्लॉटिंग की समस्या पैदा कर सकते हैं।
आयुर्वेद के मुताबिक खरबूजे के साथ केले का सेवन नहीं करना चाहिए। एक साथ दोनों फल खाने से पेट में भारीपन हो सकता है।
शूगर वाले में सीमित मात्रा में खाएं खरबूजा
शूगर के मरीज अक्सर इस उलझन में रहते हैं कि मीठा होने के कारण खरबूजा खाए या नहीं । हां, शूगर के मरीज खरबूजे का सेवन कर सकते हैं लेकिन सीमित मात्रा में । कम मात्रा में खरबूजे का सेवन शरीर को नुक्सान नहीं करता है।
शूगर के मरीज करीब 100 ग्राम तक खरबूजा खा सकते हैं। क्योंकि खरबूजे में ग्लाईसेमिक इंडैक्स उच्चतर होता है। इसलिए ज्यादा में मात्रा में इसका सेवन शूगर लेबल को बञॉा सकता है। वहीं अगर शूगर के मरीज को खरबूजा खाने के बाद चक्कर या थकान और असामान्य लक्षण महसूस होते हैं तो मरीज को तुरंत डॉक्टर के संपर्क करना चाहिए।