जालंधर/सोमनाथ कैंथ
चक्रासन जिसे व्हील पोज भी कहा जाता है, एक उन्नत बैक बेंडिंग आसन है, जो शारीकि और मानसिक लाभ तो पहुंचाता ही है, साथ में क्योंकि यह ब्लड सर्कुलेशन को उत्तेजित करता है और एनर्जी लैवल को बढ़ाने में काफी लाभ पहुंचाता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को फैलाने और मजबूत करने और रीढ़ की हड्डी के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। चक्रासन पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करने में मदद करता है जो कोर स्थिरता का समर्थन करता है। जैसा कि योगाचार्य रजिंदर हंस ने बताया-
चक्रासन छाती को खोलता है और कंधों को फैलाने से मुद्रा में सुधार करने और ऊपरी शरीर में तनाव से राहत मिलती है। इससे पाचन शक्ति मजबूत होती है। यह आसन ब्लड सर्कुलन को बढ़ाने में मदद करता है, जो हृदय स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है।
ऐसे करे स्टेप वाइज चक्रासन
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और घुटनों को मोड़ीए। एड़ियां नितम्बों के समीप लगाएं। दोनों हाथों को उल्टा करके कंधों के पीछे थोड़े अंतर पर रखें इससे सन्तुलन बना रह्ता है। सांस को अंदर भरते हुए कटिप्रदेश एवं छाती को ऊपर उठाइये। धीरे-धीरे हाथ एवं पैरों को समीप लाने का प्रयत्न करें, जिससे शरीर की चक्र जैसी आकृति बन जाए। आसन छोड़ते समय शरीर को ढीला करते हुए भूमि पर टिका दें। शुरू में इस आसन को करीब 15 सेकेंड करें। फिर धीरा-धीरे बढ़ाते हुए 2 मिनट तक इस आसन को करें।
यहां यह बताना जरूरी है कि यह आसन योगा प्रशिक्षक की देख-रेख में ही करें। वहीं इस आसन को करने से पहले कुछ दिन धनुरासन फिर भुजंगासन और अंत में उष्ट्रासन करें। इसके अगले स्टेप में चक्रासन करें।
चक्रासन करने के लाभ
-रीढ़ की हड्डी लचीली होने के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी के मसल्स मजबूत होने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।
-रक्त संचा में सुधार होता है।
-तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
-पेट की चर्बी कम होती है और पेट के मसल्स मजबूत होते हैं।
-भूख बढ़ती है और पाचन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।