जालंधर/सोमनाथ कैंथ
फ्रॉग पोज, जिसे संस्कृत में मंडूकासन कहा जाता है एक योग क्रिया है। इस आसन में स्थिति मेंढक के समान होती है इसलिए इसे मंडूकासन कहा जाता है।
इस आसन को करने से लिवर, किडनी और आंतों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है और विशेषकर यह आसन मधुमेह (शूगर) के मरीजों के लिए एक फायदेमंद योगासन है। यह कहना है योगाचार्य रजिंदर हंस जी का।
हंस जी बताते हैं इस आसन का नियमित अभ्यास अग्नाशय को उत्तेजित करता है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन बढ़ता है और खून में शूगर का स्तर नियंत्रित होता है। इसके अलावा मंडूकासन करने से पेट की चर्बी कम होती है, क्योंकि इससे पेट पर दबाव पड़ता है और पेट की चर्बी लगने लगती है। यह आसन कंधे और मांसपेशियों को भी मजबूत करता है।
मंडूकासन करने का तरीका:
सबसे पहले वज्रासन में बैठें (घुटने मुड़े हुए और पैर पीछे की ओर)।
अपनी मुट्ठी बांधें और अंगूठे को अंदर की ओर रखें।
अपनी मुट्ठी को नाभि के पास रखें।
सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें, अपनी मुट्ठी से पेट पर दबाव डालें।
ध्यान रहे- अपनी क्षमतानुसार झुकें और कुछ देर इसी स्थिति में रहें।
सांस लेते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठें।
इस आसन को 5-10 बार दोहराएं।
मंडूकासन के लाभ:
यह आसन अग्नाशय को उत्तेजित करता है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन बढ़ता है। रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है:
इंसुलिन के उत्पादन में वृद्धि से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित होता है।
इसके अलावा पाचन में सुधार करता है।
मंडूकासन पेट फूलना, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
यह आसन शरीर को आराम पहुंचाता है और तनाव को कम करने में मदद करता है।
सावधानियां:
यदि आपको कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, तो मंडूकासन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें और योग प्रशिक्षक देख-रेख में ही योगासन करें। गर्भवती महिलाओं को मंडूकासन नहीं करना चाहिए।