जालंधर/सोमनाथ कैंथ
बदलती जीवनशैली और उम्र बढ़ने के साथ लिगामेंट्स(जोड़ों को सहारा देने वाले रेशेदार ऊतक) कमजोर पड़ने लगते हैं। इस कारण जोड़ों में दर्द रहने लगता है। शरीर की लचकता कम होने लगती है और शरीर में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होनी शुरू हो जाती हैं। इन्हीं में से एक समस्या सर्वाइकल स्पॉन्डिलाटिस, जिसे सर्वाइकल स्पोन्डिलोसिस भी कहते हैं आने लगती है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाटिस ऐसी स्थिति है जो गर्दन की हड्डियों और डिस्क से संबंधित परिवर्तन के कारण होती है। इस स्थित में गर्दन में दर्द, अकड़न और गतिशीलता में कमी आ जाती है। कुछ केसों में यह नसों पर दबाव डालने लगती है। सुन्नता भी हो सकती है।
इस संबंध में बहुजन संदेश के साथ बात करते हुए योगाचार्य रजिंदर हंस ने योगा में इसका एक सरल और महत्वपूर्ण आसन बताया है कोणासन। योग प्रशिक्षक की निगरानी में यह आसन करके स्वास्थ्य लाभ उठाया जा सकता है।
कोणासन करने की विधि
पैरों को एक-दूसरे के करीब रखें।
अपनी बाजुओं को कंधों के लंबवत रखें और पैरों को फैलाएं।
सांस लें और हथेलियों और एड़ियों की मदद से धड़ को ऊपर की ओर उठाएं।
गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।
बाजुओं को सीधा रखें और छाती को आसमान की ओर रखें।
इस स्थिति में 8 से 10 सेकंड तक रहें।
फिर धीरे-धीरे मूल स्थिति में आ जाएं। इस आसन को 4 से 6 बार दोहराएं।
कोणासन के अन्य लाभ
इस आसन के करने से कंधे मजबूत होते हैं और पेट संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
इससे पैरों और रीढ़ की हड्डी को पर्याप्त व्यायाम मिलता है।
इस आसन को पश्चिमोत्तान आसन का ही एक रूप माना जाता है।
इसलिए अगर पश्चिमोत्तानासन के बाद इसका अभ्यास किया जाए तो इससे कई लाभ होते हैं।
इस आसन में रीढ़ की हड्डी को पीछे की ओर मोड़ा जाता है जिससे लचीलापन आता है और शरीर में चमक और यौवन आता है, गर्दन और कंधों के लिगामेंट्स मजबूत होते हैं। इसके अलावा यह आसन पेट की चर्बी कम करने में मदद करता है। कूल्हों और पेट की मांसपेशियों को खोलता है और पाचन में सुधार करता है. जिससे पेट की चर्बी कम करने में मदद मिलती है।