जालंधर/सोमनाथ कैंथ
दुनिया भर में हर साल करीब पौने दो करोड़ लोग दिल की बीमारियों(सीवीडी) के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं और 2030 तक सीवीडी से मौतों की संख्या करीब ढाई करोड़ तक पहुंचने की चेतावनी है। सीवीडी को मृत्यु का सबसे आम कारण (25-45% मृत्यु दर) और विकलांगता का पांचवां सबसे आम कारण माना जाता है। महामारी विज्ञान के अध्ययन संकेत देते हैं कि सीरम लिपिड प्रोफाइल में वृद्धि, प्लाज्मा फाइब्रिनोजेन का उच्च स्तर और जमावट कारक सीवीडी का मुख्य कारण माने जाते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेश के आंकड़ों के मुताबिक सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में तंबाकू का सेवन, हाई ब्लड प्रेशर, शराब की लत, उच्च कोलेस्ट्रॉल, फलों और सब्जियों का कम सेवन, उचित शारीरिक गतिविधि का अभाव और मोटापा शामिल हैं।
जहां तक हाई ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल की बात है तो अध्ययनों के मुताबिक लहसुन और नींबू का रस हाई ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत ही कारगर माना गया है। शोधों के मुताबिक लहसुन किसी भी तरीके से खाया जाए और नींबू के रस का सेवन हाई ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल के लैवल सामान्य करने में मदद करता है।
क्या कहते हैं अध्ययन
नेशनल लेबोरेटरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के मुताबिक लहसुन, एंटी-सीवीडी फाइटोकेमिकल्स के सबसे प्रसिद्ध स्रोतों में से एक है, जो हृदय रोग के दमन और उपचार में प्रभावी भूमिका निभाता है। हालांकि औषधीय हस्तक्षेप उच्च रक्तचाप और डिस्लिपिडेमिया में उल्लेखनीय कमी लाते हैं, जीवनशैली में बदलाव और आहार व्यवस्था को सही करना हृदय रोग के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। सूजन(इंफ्लामेशन) की स्थिति और अंततः हृदय संबंधी मापदंडों को कम करने में प्रभावी खाद्य पदार्थों में, लहसुन और नींबू के रस का उपयोग आम है।
लहसुन और नींबू का कैसे भी सेवन करें लाभ होगा
लहसुन का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है जैसे कच्चा लहसुन, लहसुन की पिसी हुई गोलियाँ, या निकाला हुआ तेल। लहसुन से प्रभावित लिपिड स्तर, रक्तचाप, प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियां और अन्य हृदय संबंधी जोखिम कारकों में कमी आती है, जिसकी पुष्टि कई अध्ययनों से हुई है।
महामारी विज्ञान के अध्ययनों से पता चला है कि फलों और सब्जियों में मौजूद फ्लेवोनोइड्स और फेनिलप्रोपेनॉइड्स फाइटोकेमिकल्स जैसे पॉलीफेनोल्स का अधिक सेवन हृदय रोग के जोखिम को कम करता है। नींबू के रस में एरिकोसाइट्रिन और हेस्परिडिन फ्लेवोन की मात्रा अधिक होती है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि एरिकोसिट्रिन और हेस्परिडिन में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, और वे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को कम कर सकते हैं। नींबू के रस में मौजूद विटामिन सी कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देता है और आयरन के अवशोषण में सहायता करता है। कोलेजन और आयरन दोनों ही दिल के स्वास्थ्य के लिए फायेदमंद होते हैं।