जालंधर/सोमनाथ कैंथ
पंजाब विधानसभा चुनाव 2027 को अभी डेढ़ साल से ज्यादा का समय है और 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने बूथ लैबल पर गतिविधियां शुरू कर दी हैं। आम आदमी पार्टी की ओर से संगठन इंचार्ज और मीडिया इंचार्जो की नियुक्ति कर चुनावी गतिविधियों को हवा दी गई है।
पंजाब कांग्रेस में भी पार्टी के पदों को लेकर नियुक्तियों की शुरुआत हो चुकी है। भाजपा के पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन की वकालत करके इशारा कर दिया है कि आने वाले दिनों में भाजपा-शिअद के बीच गठबंधन हो सकता है। भाजपा-शिअद के बीच गठबंधन होता है तो 2027 के चुनावों को लेकर बहुजन समाज पार्टी(बसपा) का क्या रुख रहेगा, यह आने वाला समय बताएगा।
क्योंकि 2022 का विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी ने अकाली दल के साथ गठबंधन में लड़ा था और केवल एक सीट पर बसपा प्रत्याशी जसवीर सिंह गढ़ी चुनाव जीते थे मगर गत वर्ष वह भी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे।
पंजाब में थर्ड फ्रंट की संभावनाएं
भाजपा पंजाब अध्यक्ष सुनील द्वारा दिए गए इशारे से यह संभावना बन गई है कि जल्द भाजपा-अकाली द्ल के बीच गठबंधन हो सकता। यदि इन दोनों दलों के बीच गठबंधन होता है तो पंजाब में थर्ड फ्रंट बन सकता है। फिलहाल पंजाब में अलग-अलग विधानसभा चुनाव जीतना भाजपा और शिरोमणि अकाली दल बहुत मुश्किल नजर आता है।
शिरोमणि अकाली दल बिखर चुका है। आज की तारीख में अकाली दल के लिए चुनाव जीतना दूर की बात है। वहीं भाजपा का भी इतना जनाधार नहीं कि अकेले चुनाव जीत सके। वहीं बहुजन समाज पार्टी का भी बहुत सारा जनाधार खिसक चुका है।
हाथी पर सवार होकर पंजाब की सत्ता पर पहुंचा अकाली दल
1996 में लोकसभा चुनाव चुनावों के दौरान शिरोमणि अकाली दल और बसपा के बीच गठबंधन हुआ। दोनों पार्टियों को फायदा हुआ। इन लोकसभा चुनावों में पंजाब की 13 सीटों में 8 सीटों पर अकाली दल और 3 सीटों पर बसपा प्रत्याशी जीते थे। यहां से अकाली दल के पंजाब में बेहतर राजनीतिक सफर शुरू हुआ। परंतु इसके कुछ महीने बाद अकाली दल ने बसपा को दरकिनार कर भाजपा से गठबंधन कर लिया था। अकाली दल-भाजपा ने 117 में से 93 सीटें जीती थीं।
बसपा का पंजाब में अब तक का सबसे बढ़िया प्रदर्शन
1992 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का सबसे बढ़िया प्रदर्शन रहा था उस चुनाव में बसपा ने 9 सीटें जीत कर विपक्षी दल का दर्जा हासिल किया था। अकाली दल ने इन चुनावों का बहिष्कार किया था। बसपा से सतनाम सिंह कैंथ पंजाब विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता बने थे।